नमस्कार
मै सुधीर आपको भारतीय इसिहास की एक एसी नायाब चीज से अवगत करवाऊँगा
जिसके बारे मे आपने सुना तो अवश्य होगा परंतु उसका इतिहास शायद ही आप जानते हो
जी
हाँ दुनिया का सबसे नायाब और बेशकीमती हीरा कोहिनूर
कोहिनूर
दुनिया का सबसे मशहूर हीरा ,
जिसकी आज तक कोई निश्चित कीमत नहीं लगायी गई है
कहा
जाता है कि जिस किसी के पास भी यह हीरा गया उसका विनास अवश्य हुआ जिसका सबसे बड़ा
प्रमाण मुगलों का विनाश और इंग्लैंड को माना जाता है इंग्लैंड कभी विश्व शक्ति
माना जाता था जो कोहिनूर मिलने के बाद सिर्फ एक छोटे से देश मे सिमट के रह गया।
ऐतिहासिक
तथ्यों के आधार पे शुरुआत मे यह 793 कैरेट का था जो की अब सिर्फ
105.6 कैरेट का ही रह गया है एक समय था जब यह दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता
था फिलहाल इसका वजन 21.6 ग्राम है
ऐतिहासिक
स्रोतों के अनुसार यह लगभग 6000 साल पहले मिला था प्राचीन इतिहास मे
कुछ लिखित स्रोतों के अनुसार यह स्यमन्तक मणि के नाम से प्रसिद्ध था हिन्दू कथाओं
के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने यह मणि जांबवंत से ली थी जिसकी पुत्री जामवंती ने बाद में श्री कृष्ण से
विवाह भी किया था। जब जाम्वंत सो रहे थे, तब श्रीकृष्ण ने यह
मणि चुरा ली थी। पुराणों
के अनुसार स्वयंतक मणि ही बाद में कोहिनूर कहलायी। ये मणि सूर्य से कर्ण को फिर
अर्जुन और युधिष्ठिर को मिली। फिर अशोक, हर्ष और चन्द्रगुप्त
के हाथ यह मणि लगी। एक अन्य कथा मे बताया
गया है कि लगभग 3200 ई.पू. यह हीरा नदी की तली में पाया गया
था परंतु
लिखित ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार, यह
गोलकुंडा की खान से निकला था, जो
आंध्र प्रदेश में, विश्व की सवसे प्राचीन खानों में से एक
हैं।
उसके
बाद से इसका जिक्र 1304 ई. के आस पास मालवा के एक राजा महलाक देव की सम्पत्ति मे
किया गया है बाद मे यह बहुत से वंशों की सम्पत्ति का हिस्सा बना, बाबरनामा मे इस
हीरे को बाबर हीरे का नाम दिया गया है बताया जाता है कि जब नादिर शाह ने पहली बार
इसे देखा तो इसे देखते ही उसके मुह से निकला था कोह ए नूर जिसका अर्थ है आभा या रोशनी का पर्वत तभी से इसका
नाम कोहिनूर पड़ गया अतः नादिर शाह ने ही इसका नाम कोहिनूर रखा था। मुगल बादशाह
शाहजहाँ ने कोहिनूर को अपने मयूर सिंहासन मे जड़वाया था मुगल साम्राज्य के पतन के
पश्चात यह हीरा सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह के पास पँहुच चुका था महाराजा रणजीत
सिंह की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने सिख साम्राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य मे मिला
लिया और कोहिनूर को ब्रिटेन की महारानी को भेंट किया गया।
जिसे बाद मे वह अपने साथ ब्रिटेन ले गई और जब ब्रिटिश सरकार को यह ज्ञात हुआ की कोहिनूर सच मे एक शापित हीरा है तो उन्होंने यह घोसीत कर दिया की कहिनूर को कोई पुरुष धारण नहीं करेगा बल्कि राज घराने की औरतें ही इसे पहनेंगी तब महारानी विक्टोरिया ने इसकी कटायी करवाके इसे अपने ताज़ मे जड़वाया लिया। तब से कोहिनूर ब्रिटेन मे ही है और आज भी कोहिनूर से जड़े उस ताज को लंदन मे टोअर ऑफ लंदन संग्रहालय मे नुमाइस के लिए रखा गया है।
जिसे बाद मे वह अपने साथ ब्रिटेन ले गई और जब ब्रिटिश सरकार को यह ज्ञात हुआ की कोहिनूर सच मे एक शापित हीरा है तो उन्होंने यह घोसीत कर दिया की कहिनूर को कोई पुरुष धारण नहीं करेगा बल्कि राज घराने की औरतें ही इसे पहनेंगी तब महारानी विक्टोरिया ने इसकी कटायी करवाके इसे अपने ताज़ मे जड़वाया लिया। तब से कोहिनूर ब्रिटेन मे ही है और आज भी कोहिनूर से जड़े उस ताज को लंदन मे टोअर ऑफ लंदन संग्रहालय मे नुमाइस के लिए रखा गया है।
आजादी के बाद भारत ने 1953 मे इंग्लैंड से कोहिनूर को
वापिस मांगा परंतु इंग्लैंड ने मना कर दिया फिर बाद मे 1976 मे पाकिस्तान ने भी
कोशिश की परंतु इंग्लैंड ने उन्हे भी मना कर दिया। कोहिनूर को भारत वापिस लाने के
प्रयास आज भी जारी है
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