Interesting Facts About Ants
आज आपको कुछ रोचक जानकारी देने वाला हूँ एक छोटी से जन्तु के बारे में जिसे हम चींटी कहते है कई बार आपने देखा होगा कि चींटियां घरों में कभी छत से, कभी दीवार से, तो कभी दरवाजे में लगी चौखट के नीचे से अक्सर निकल आती है आपने इन्हें पार्क में देखा होगा, पेड़ों पर देखा होगा या रस्ते पर कहीं ना कहीं एक कतार में चलते जरूर देखा होगा। दरअसल चींटियाँ हमारे आसपास सबसे अधिक संख्या में पाई जाने वाली जन्तु है आपको जानकर हैरानी होगी कि चींटियों की लगभग 20,000 से अधिक प्रजातियां दुनिया में पाई जाती हैं। इंसानों की तरह चींटियों का भी एक समाज होता है जिसके नियमों का बड़ी ही सख्ती से पालन किया जाता है ताकि सामाजिक व्यवस्था पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहे। चींटी को पिपिलिका भी कहा जाता है चींटी का वैज्ञानिक नाम formicidae है।
कीटों में चींटी का दिमाग सबसे तेज माना जाता है। इसमें करीब 250,000 मस्तिष्क कोशिकाएं होती हैं।
एक प्रजाति की चींटियों की लम्बाई एक इंच यानी दो सेन्टीमीटर से अधिक होती है, वहीं कुछ अन्य प्रजातियों की चींटियां मुश्किल से एक इंच के पच्चीसवें भाग के बराबर यानी एक मिली मीटर लम्बी होती हैं। इनमें सबसे बड़ी चींटी कार्पेंटर चींटी होती है उसका शरीर करीब 2 सेंटी-मीटर बड़ा होता है। इंसान अपने शरीर से लगभग 30-40 किलो वजन ज्यादा उठा सकता है लेकिन एक चींटी अपने वजन से 50 गुना ज्यादा भार उठा सकती है और उसे लेकर कितनी भी दूर चल सकती है
वैसे आमतौर पर चींटियां बरसात के दिनों में होती है शुरुआत में इनके पंख होते है नर चींटी मादा चींटी को अण्डे देने योग्य बनाकर कुछ दिन बाद यानी एक से दो हफ्ते बाद खुद ब खुद मर जाते है लेकिन मादा चींटी जमीन या किसी पत्थर के नीचे छिप जाती है और अंडे देने लगती है जिसके बाद उसके पंख नष्ट हो जाते हैं।
चींटियों के जीवन चक्र में चार अवस्थाएं होती हैं - अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क। शुरुआती अंडों में से निकलने वाली लार्वा चींटियों की देखभाल मादा चींटी करती है, किन्तु पर्याप्त संख्या में बच्चे पैदा होने और इनके बड़े होने पर ये सामाजिक व्यवस्था को सम्हाल लेते हैं। इन्हें मज़दूर चींटियां कहते हैं। ये सब चींटियां मादा होती हैं किन्तु ये बांझ होती हैं, यानी वे अंडे नहीं दे सकतीं। इनका जीवनकाल 4 से 7 वर्षों का होता है। अब मूल मादा चींटी केवल अंडे देने का काम करती है और बांबी में एक ही स्थान पर बैठी रहती है। इसे रानी चींटी भी कहते हैं। उसके शरीर की सफाई करना, उसे भोजन लाकर देना आदि काम मज़दूर चींटियां करती हैं। इसके अलावा मज़दूर चींटियों के मुख्य काम इस प्रकार होते हैं - बांबी के बाहर जाकर भोजन इकट्ठा करना और उसे लाकर बांबी में जमा करना, बढ़ती आबादी के हिसाब से बांबी को आवश्यकता अनुसार बड़ा करते जाना तथा बांबी की साफ-सफाई करना, अंडों व बच्चों की देखभाल करना व उन्हें भोजन देना आदि।
चींटियों के समाज में पाए जाने वाली इन तीन जातियों यानी रानी, नर और मज़दूर में हम केवल मज़दूर चींटियों को ही देख पाते हैं। रानी तो स्थाई रूप से बांबी में रहती है और केवल अंडे देने का काम करती है। वह 15 साल तक जीवित रह सकती है और अपने पूरे जीवनकाल में लगभग 70,000 अंडे देती है।
चींटियों की प्रजातियां रंग आकार भोजन और व्यवहार के मामले में बहुत अलग-अलग पाई जाती है जैसे आपने स्वयं देखा होगा कि काली चींटियों की तुलना में लाल रंग की चींटियां काफी आक्रामक होती हैं और तुरन्त काट लेती हैं। इनका विष (फॉर्मिक एसिड) भी काफी जलन पैदा करता है। काले और लाल रंग के अलावा चींटियां भूरी और पीली भी होती हैं।
हमारे देश में आमतौर पर तीन-चार प्रजातियों की चींटियां घरों में पाई जाती हैं। इनमें सबसे बड़ी प्रजाति वह होती है जिसे हम चींटा या मकोड़ा कहते हैं। बांबी के बाहर दिखाई देने वाली सभी चींटियां केवल बांझ मादाएं ही होती हैं। दरअसल, छोटी चींटी व बड़ा मकोड़ा, दोनों चींटियों की अलग-अलग प्रजातियां हैं।
संपर्क बनाए रखना
चींटियों का आपस में सम्पर्क दो तरीकों से होता है। इनके शरीर से एक प्रकार का हारमोन निकलता है जिसे फेरोमोन कहते हैं। एक दूसरे के फेरोमोन को सूंघकर चींटियां सम्पर्क बनाए रखती हैं। आपने देखा होगा कि चींटियों की कतार के रास्ते को गीले कपड़े से पोंछ दिया जाए तो पीछे से आने वाली चींटियां भ्रमित हो जाती हैं। इसका कारण यह है कि आगे जाने वाली चींटियों की गंध समाप्त हो जाती है। चींटियों का आपस में सम्पर्क बनाए रखने का दूसरा तरीका एक-दूसरे के स्पर्शक यानी एन्टिना को छूना होता है। असल में चींटियां सुन नहीं सकतीं क्योंकि उनके कान नहीं होते. हालांकि ये जीव ध्वनि को कंपन से महसूस कर सकते हैं. आसपास की आवाज को सुनने के लिए ये घुटने और पांव में लगे खास सेंसर पर निर्भर करते हैं. चींटियों के दो पेट होते हैं. एक में खुद के शरीर के लिए खाना होता है और दूसरे में कालोनी में रहने वाली दूसरी चींटियों के लिए खाना होता है. चींटियों की अलग-अलग प्रजातियां शाकाहारी, मांसाहारी या सर्व हारी होती हैं। कुछ चींटियों का व्यवहार बड़ा ही रोचक होता है। चींटियों की हर कालोनी की एक तय सीमा होती है. वे लगातार अपनी सीमा का विस्तार करने की कोशिश करती रहती हैं. अगर ऐसा होता है तो युद्ध छिड़ जाता है जो अक्सर कई घंटों तक या कई बार कई हफ्तों तक भी चलता है.
अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के जंगलों में पाई जाने वाली आर्मी (सेना) चींटियां लाखों की संख्या में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती हैं और रास्ते में पड़ने वाले सभी जीवधारियों को चट करती जाती हैं। कुछ प्रजातियों की चींटियां दूसरी प्रजातियों की चींटियों की बांबियों पर हमला करके उनके लार्वा को उठा लाती हैं और फिर इनसे गुलामों के समान काम करवाती हैं।
विज्ञान को छोटी सी चींटी ने हैरान कर दिया है. चींटी के दिशा ज्ञान को लेकर जब वैज्ञानिकों ने रिसर्च की तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. मसलन, चींटी हमेशा कंपास रूट का सहारा लेती है. आप चींटी को किसी भी दिशा में रख दीजिए वह रास्ता खोज लेगी. सरल भाषा में कहा जाए तो सोचिये कि आप उल्टा चलते हुए या फिर गोल गोल घूमते हुए भी अपने घर पहुंच जाएं. चींटियां ऐसा कर सकती हैं.
एडिनबरा यूनिवर्सिटी और CNRS पेरिस की शोधकर्ता डॉक्टर एंटॉनी विस्ट्रेच कहती हैं, "पूरी कीट प्रजाति में चींटियां दिशा ज्ञान के मामले में अनोखी हैं. बड़ी कालोनी बनाकर रहने वाली चींटियों को भोजन को खींचकर उल्टा भी चलना पड़ता है. नेवीगेशन का खास गुण इसमें उनकी मदद करता है."
वैज्ञानिकों के मुताबिक चींटी का सुई की नोक से भी छोटा मस्तिष्क बेहद प्रभावी होता है. वह प्रकाश, माहौल और स्मृति की मदद से हमेशा सही रास्ता खोज लेता है.
यूके और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने रेगिस्तान में रहने वाली चींटियों पर शोध के बाद यह दावा किया है. कि एक्सपेरिमेंट के दौरान दर्पण के जरिये चींटियों को गुमराह करने की कोशिश भी की गई. वैज्ञानिकों ने सूर्य के प्रतिबिम्ब से चींटियों को भटकाने की कोशिश की. लेकिन चींटियों ने अपना भोजन जमीन पर रखा, कुछ देर तक हालात का जायजा लिया और सही रास्ते को पहचान लिया.
वैज्ञानिक चींटियों के इस गुण का सहारा लेकर Robots के लिए एल्गोरिदम तैयार करना चाहते हैं. यदि इसमें कामयाबी मिलती है तो robots भी चींटियों की तरह खुद ब खुद घर लौटने में सक्षम होंगे।
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चींटीयों के रोचक रहस्य (Interesting Facts About Ants )