राजस्थान में मेवाड़ के शासकों के द्वारा बहुत से किलों का निर्माण करवाया गया था जिनमे से एक है राजसमंद जिले का कुंभलगढ़ किला। यह किला उदयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा भी प्राप्त है।
ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर बताया जाता है कि इस किले को बनने में 15 साल लगे थे और इसका निर्माण मेवाड़ के शासक महाराणा कुंभा ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। बताया जाता है की इसका नक्शा भी महाराणा कुंभा ने खुद तैयार किया था।
चीन की दीवार के बाद इसे एशिया की दूसरी सबसे ऊंची दीवार का दर्जा प्राप्त है। किले में 360 मंदिर है जिसमें से 300 मंदिर जैन धर्म के और बाकी 60 हिंदू धर्म के हैं। किले के पास में एक जंगल था जिसे अब वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में तब्दील कर दिया गया है। इसकी दूसरी खासियत यह है कि मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ में हुआ था।
इस किले की दीवार 36 किलोमीटर लंबी और 15 फीट चौड़ी है। इस दीवार की वजह से कुम्भलगढ़ का इतिहास गवाह है की यह विशाल किला अभेद व अजेय किला था। इसको कभी जीता नहीं जा सकता था केवल एक बार हुआ था, जब कुम्भलगढ़ के किले को पराजित किया गया था, तीन राजाओं अकबर, उदय सिंह और राजा मान सिंह की संयुक्त सेना ने कुम्भलगढ़ को चारो ओर से घेर लिया था, और जब किले के अंदर पानी की भारी किल्लत हो गई, तब कुम्भलगढ़ की सेना को आत्मसमर्पण करना पडा था।
कुंभलगढ़ के मशहूर महलों में से एक है बादल महल इसमें मर्दाना महल और जनाना महल दो हिस्से हैं जो आपस में जुड़े हुए हैं। महल के शानदार कमरे पेस्टल रंगों से दीवार पर बने चित्रों से सजे हुए हैं। इसी महल में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। इस किले का पुनर्निर्माण 19वीं शताब्दी में महाराणा फतेह सिंह ने फिर से करवाया था। अब यह जनता और पर्यटकों के लिए एक संग्रहालय के रूप में जाना जाता है।
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कुंभलगढ़ किला
ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर बताया जाता है कि इस किले को बनने में 15 साल लगे थे और इसका निर्माण मेवाड़ के शासक महाराणा कुंभा ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। बताया जाता है की इसका नक्शा भी महाराणा कुंभा ने खुद तैयार किया था।
चीन की दीवार के बाद इसे एशिया की दूसरी सबसे ऊंची दीवार का दर्जा प्राप्त है। किले में 360 मंदिर है जिसमें से 300 मंदिर जैन धर्म के और बाकी 60 हिंदू धर्म के हैं। किले के पास में एक जंगल था जिसे अब वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में तब्दील कर दिया गया है। इसकी दूसरी खासियत यह है कि मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ में हुआ था।
इस किले की दीवार 36 किलोमीटर लंबी और 15 फीट चौड़ी है। इस दीवार की वजह से कुम्भलगढ़ का इतिहास गवाह है की यह विशाल किला अभेद व अजेय किला था। इसको कभी जीता नहीं जा सकता था केवल एक बार हुआ था, जब कुम्भलगढ़ के किले को पराजित किया गया था, तीन राजाओं अकबर, उदय सिंह और राजा मान सिंह की संयुक्त सेना ने कुम्भलगढ़ को चारो ओर से घेर लिया था, और जब किले के अंदर पानी की भारी किल्लत हो गई, तब कुम्भलगढ़ की सेना को आत्मसमर्पण करना पडा था।
कुंभलगढ़ के मशहूर महलों में से एक है बादल महल इसमें मर्दाना महल और जनाना महल दो हिस्से हैं जो आपस में जुड़े हुए हैं। महल के शानदार कमरे पेस्टल रंगों से दीवार पर बने चित्रों से सजे हुए हैं। इसी महल में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। इस किले का पुनर्निर्माण 19वीं शताब्दी में महाराणा फतेह सिंह ने फिर से करवाया था। अब यह जनता और पर्यटकों के लिए एक संग्रहालय के रूप में जाना जाता है।
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कुंभलगढ़ किला