श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के 7वें दरवाजे का रहस्य

 

भारत में बहुत से रहस्य है जिनकी हकीकत पर से पर्दा या तो खुद ब खुद उठ गया या फिर विज्ञान द्वारा खोज निकाला गया है। लेकिन बहुत से रहस्य ऐसे है जो कि विज्ञान की समझ से भी परे है।  

केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित है, जो पूरी दुनिया में अपने एक खास रहस्य की वजह से विख्यात है यह दुनिया का सबसे अमीर मंदिर भी माना जाता है। मंदिर में केवल हिन्दू धर्म के लोग ही प्रवेश कर सकते है अतः प्रवेश करने के लिए भी पुरुषों को सफेद धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना आवश्यक है मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं। दरअसल, मंदिर में सात तहखाने है जिनमे से 6 तहखानों को जब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में खोला गया तो पूरी दुनिया के होश उड़ गए। तहखानों मे से 1 लाख 20 हजार करोड़ से अधिक सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात, ऐतिहासिक प्राचीन मूर्तियाँ और कीमती पत्थरों का खजाना निकाला गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित सरकारी टीम ने जब सातवें दरवाजे को खोलने की शुरुआत की, तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के चित्र को देखकर काम रोक दिया गया। कई लोगों की मान्यता थी कि इस दरवाजे को खोलना अशुभ होगा। क्योंकि दरवाजे के पीछे से पानी की लहरों की आवाजें भी सुनायी पड़ती है दरअसल ये दरवाजा स्टील का बना है। इस पर दो कोबरा सांप छपे हैं, इसमें कोई नट-बोल्ट या कब्जा नहीं हैं।  मंदिर का यह सातवां दरवाजा हर किसी के लिए एक पहेली बना हुआ है, इस तहखाने के दरवाजे को खोलने की कोई भी हिम्मत नहीं कर पाता है। चलिए जानते है कि आखिर क्या है इस 7 वें दरवाजे का रहस्य।




मान्यता है कि इस मंदिर को छटी शताब्‍दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था जिसका जिक्र 9वीं शताब्‍दी के ग्रंथों में भी किया गया है। 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान विष्णु का सेवक यानी की ‘पद्मनाभ दास’ बताया और इस मंदिर का निर्माण करवाया जिसमे मंदिर के नीचे 7 तहखाने  बनवाए और उनमे बेशकीमती खजाने को इस मंदिर के तहखाने और मोटी दीवारों के पीछे छुपा दिया था। और 7 दरवाजों में से एक दरवाजे पर डरावने कोबरा साँपों की आकृति बनवा दी ताकि जब भी राज्य पर कोई बाहरी आक्रमण हो तो आक्रमणकारी साँपों के भय से मंदिर के खजाने को लूटने की कोशिश ना करे जिसके लिए मंदिर के तहखानों में कोबरा साँपों के होने के किस्से भी बताए जाने लगे, जिसकी वजह से हजारों सालों तक किसी ने इन दरवाजों को खोलने की कभी कोशिश नहीं की।  समय बीतता गया और बाद में इसे शापित माना जाने लगा। 


त्रावणकोर राजघराने ने पूरी तरह से भगवान को अपना जीवन और संपत्ति सौंप दी। 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने इस राज्य में राज किया था। वर्तमान में फिलहाल महाराज मार्तंड की 13वीं पीढ़ी इस मंदिर के ट्रस्ट का काम संभालती है किन्तु खजाने की जानकारी होने के बाद मंदिर की सुरक्षा एवं संचालन भारतीय सरकार द्वारा किया जाता है 



केरल के लोगों में यह भी प्रचलित है कि इस दरवाजे को ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों का प्रयोग करके बंद किया गया है। इसे केवल ‘गरुड़ मंत्र’ का स्पष्ट और सटीक मंत्रोच्चार करके ही खोला जा सकता है। अगर इसमें कोई गलती हुई तो मंत्र उच्चारण करने वाले की मृत्यु निश्चित मानी जाती है। यदि 7वें दरवाजे को गलत तरीके से खोलने की कोशिश की गई तो मंदिर नष्ट हो सकता है, जिससे पूरे विश्व में भारी प्रलय तक भी आ सकती है

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श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के 7 वें दरवाजे का रहस्य